झारखण्ड राज्य की सतही मिटटी भी इसके भौतिक स्वरूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। झारखण्ड की मिट्टी (Soil of Jharkhand) में खनिज पदार्थ प्रचुर मात्रा में पाए जाती है। राज्य की मिट्टी को वर्गीकरण के आधार पर 6 भागों में बाँटा गया है, जो कुछ इस प्रकार है।
झारखण्ड में मिट्टी के प्रकार( Types of Soil in Jharkhand )
- लाल मिट्टी
- काली मिट्टी
- लेटेराइट मिट्टी
- अभ्रक मूल की लाल मिट्टी
- रेतीली मिट्टी
- जलोढ़ मिट्टी
लाल मिट्टी :-
लाल मिट्टी झारखण्ड(Jharkhand soil) के लगभग सभी भागों में पाई जाती है। यह मिट्टी सबसे ज्यादा छोटानागपुर के क्षेत्रों में 90 प्रतिशत पाया जाता है। यह शुष्क और आर्द्र जलवायु के कारण लौह ऑक्साइड से भरपूर चट्टानों के टूटने- पिसने से बनती है। फेरिक ऑक्साइड तथा बॉक्साइट के अधिकता के कारण इसका रंग लाल है। कृषि की दृष्टि से यह मिट्टी कम उपजाऊ होती है। इस मिट्टी में अन्न के रूप में ज्यादा तर बाजरा की खेती की जाती है। लाल मिट्टी में कहीं- कहीं खनिजों के अंश होने के कारण इस रंग पीला भी हो जाता है। यह मिट्टी स्थान और ऊंचाई के आधार पर परिवर्तित होती रहती है।
काली मिट्टी :-
यह मिट्टी बेसाल्ट शैलो से निर्मित होती है। इस मिट्टी में सिलिकन पदार्थ की मात्रा पाई जाती है और साथ ही साथ इस मिट्टी में पोटाश, कायोलिन, मैग्नीशियम एवं लौह ऑक्साइड आदि मुख्य रूप से पाए जाते है। यह मिट्टी जब नमी के संपर्क में आती है, तो यह अपनी ऊपरी परत पर क्ले मिट्टी का निर्माण करती है। यह मिट्टी राजमहल की पहाड़ियों में पाई जाती है। यह मिट्टी कृषि के लिए काफी उपयोगी होती है क्योंकि इस मिट्टी में नमी और आर्द्रता बनाए रखने की क्षमता होती है। नमी के कारण जब यह सूखती है, तो यह मिट्टी भुरभुरी बन जाती है। इस मिट्टी पर चने और धान की खेती बहुत अधिक मात्रा में की जाती है। काली मिट्टी को रेगुर मिट्टी भी कहते है।
लेटेराइट मिट्टी :-
यह मिट्टी गहरे लाल रंग की होती है। लेटेराइट मिट्टी में लौह ऑक्साइड की मात्रा सबसे अधिक पाई जाती है और साथ ही साथ इस मिट्टी में चूना, फास्फोरस और पोटाश भी पाया जाता है। यह मिट्टी झारखण्ड के पाट क्षेत्र, राजमहल का पूर्वी भाग एवं सिंहभूम के क्षेत्रों में पाई जाती है। इन सभी क्षत्रों में एल्युमीनियम और मैंगनीज भी भरपूर मात्रा में पाई जाती है जिसके कारण इस मिट्टी की उर्वरा शक्ति भी कम होती है। इस मिट्टी पर किसान मिट्टी की उर्वरा के हिसाब से अरहर और अरंड की खेती करते है।
अभ्रक मूल की लाल मिट्टी :-
यह मिट्टी में अभ्रक के अंश होने के कारण चमकदार होती है। इस मिट्टी में शुष्कता के कारण इसका रंग गुलाबी होता है और जब इसमें नमी होता है तो इसका रंग पीला हो जाता है। यह मिट्टी कोडरमा, झुमरी तिलैया, मांडू तथा हजारीबाग के क्षेत्रों में पाई जाती है। यह मिट्टी कुछ हद तक उपजाऊ है परन्तु इस क्षेत्रों में जल की कमी के कारण कृषि कार्य संभव नहीं है। इस मिट्टी पर कहीं-कहीं कोदों, कुरमी आदि फसलें उगाई जाती है।
रेतीली मिट्टी :-
यह मिट्टी दामोदर घाटी की परतदार चट्टानों के घिसने व टूटने से बनती है। इस मिट्टी का रंग धूसर और पीला होता है, जो हल्की लालिमा लिए रहता है। कृषि के लिए यह मिट्टी काफी उपयुक्त होती है। यह मिट्टी पूर्वी हजारीबाग तथा धनबाद के क्षेत्रों में पाई जाती है।
जलोढ़ मिट्टी :-
यह मिट्टी चूना तथा पोटाश युक्त होता है। जलोढ़ मिट्टी साहेबगंज तथा पाकुड़ के क्षेत्रों में पाई जाती है।
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झारखण्ड की मिट्टी(Soil of Jharkhand) से महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर
प्रश्न : काली मिट्टी झारखण्ड की किस क्षेत्र में पाया जाता है?
उत्तर : काली मिट्टी झारखण्ड के राजमहल क्षेत्र में पाया जाता है।
प्रश्न : झारखण्ड के किस भाग में धात्विक गुणों वाली मिट्टी की प्रधानता है?
उत्तर : झारखण्ड के पश्चिमी सिंहभूम भाग में धात्विक गुणों वाली मिट्टी की प्रधानता है।
प्रश्न : झारखण्ड में पायी जाने वाली रेतीली मिट्टी का विस्तार किन क्षेत्रों में है?
उत्तर : झारखण्ड में रेतीली मिट्टी का विस्तार पूर्वी हजारीबाग व धनबाद क्षेत्र में है।
प्रश्न : झारखण्ड राज्य में सर्वाधिक मात्रा में कौन- सी मिट्टी पायी जाती है?
उत्तर : राज्य में सर्वाधिक मात्रा में लाल मिट्टी पायी जाती है।
प्रश्न : काली मृदा झारखण्ड में कहाँ पाई जाती है?
उत्तर : काली मृदा का मुख्य रूप से राजमहल ट्रैप के क्षेत्र में पाई जाती है। इसे रेगुर मृदा भी कहाँ जाता है।
प्रश्न : झारखण्ड की कौन- सी मिट्टी नीस एवं ग्रेनाइट चट्टानों के अवशेष से बनी है इसलिए कम उपजाऊ होती है?
उत्तर : लाल मिट्टी नीस एवं ग्रेनाइट के अवशेषों से निर्मित होती है जिसके कारण इसकी उर्वरा शक्ति कम होती है इसलिए ये कम उपजाऊ होते है।
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