Mudra Aur Sakh class 10 ncert solution in Hindi

Mudra Aur Sakh: मुद्रा और साख को कक्षा 10वीं की NCERT पुस्तक से ली गयी है। इसमें परीक्षा उपयोगी प्रश्न-उत्तर का समाधान दिया गया है। इसमें बताये गए सभी प्रश्न महत्वपूर्ण है। इस पाठ के सभी प्रश्नों के झारखण्ड अधिविद्ध परिषद रांची द्वारा प्रकाशित पाठ्यक्रम के आधार पर तैयार किया गया है। किसी भी प्रकार के सुझाव के लिए संपर्क करें।

Mudra Aur Sakh: मुद्रा एवं साख महत्वपूर्ण तथ्य।

मुद्रा विनिमय का एक माध्यम है: विनिमय का अर्थ होता है वस्तुओं या सेवाओं का क्रय विक्रय करना तथा मुद्रा विनिमय का अर्थ होता है मुद्रा के माध्यम से वस्तुओं और सेवाओं का क्रय विक्रय करना। हमलोग रोजाना बहुत से क्रय विक्रय करते और अधिकांश क्रय विक्रय मुद्रा के माध्यम से ही होता है। 

विनिमय के दो माध्यम प्रचलित है: (1) मुद्रा विनिमय प्रणाली– इसका अर्थ यह है की वस्तुओं और सेवाओं का लेन देन मुद्रा के माध्यम से होता है। (2) वास्तु विनिमय प्रणाली: वास्तु विनिमय प्रणाली वह प्रणाली है जिसमें वस्तुओं के माध्यम से वस्तुओं और सेवाओं का आदान प्रदान होता है।

मुद्रा विनिमय के माध्यम को सरल बनता है। आप जिस व्यक्ति के साथ मुद्रा का प्रयोग कर के कुछ सौदा करते है तो उसके बाद वह व्यक्ति भी उसी मुद्रा का प्रयोग कर के अपने आवश्यकता के वस्तुओं को खरीद सकता है। यह आवश्यता के दोहरे संयोग की समस्या को समाप्त करता है। 

प्राचीन भारत में अनाज और पशुओं को मुद्रा के रूप में प्रयोग किया जाता था। उसके बाद सोना, चाँदी और तांबा जैसे धातुओं से बने सिक्कों का चलन होता था। वर्तमान समय में मुद्रा के कई आधुनिक रूप है।

करेंसी: मुद्रा के आधुनिक रूप में करेंसी में कागज के नोट और सिक्के शामिल है। ये प्राचीन भारत के मुद्रा के सामान बहुमूल्य धातु से नहीं बने होते है। आधुनिक मुद्रा को भारतीय सरकार द्वारा प्राधिकृत की जाती है ताकि इसे मुद्रा के रूप में स्वीकार किया जा सके।

मुद्रा एवं साख महत्वपूर्ण तथ्य।

भारत का केंद्रीय बैंक भारतीय रिज़र्व है जो सरकार की तरफ से करेंसी नोट जारी करता है। कानून के अनुसार इसके करेंसी जारी करने का का एकाधिकार प्राप्त है। इसके अलावा अन्य कोई संस्था भारत में कोई भी करेंसी जारी नहीं कर सकता है।

लोग मुद्रा को को निक्षेप के रूप में बैंक जमा रख सकते है ताकि भविष्य के कोई आपदा या समस्या आने पर उसके निपटान के लिए निकला जा सके। इससे बैंको में धन सुरक्षित रहती और उसपे सूद भी मिलते है।

निक्षेप के रूप में जमा धन राशि मांग जमा कहलाता है। इसे आप कभी भी निकल सकते है। इस मांग जमा का का प्रयोग आप बिना धन राशि निकले भी चैक के माध्यम से कर सकते है।

चैक एक ऐसा कागज है, जो बैंक को किसी व्यक्ति के कहते से चेक पर लिखे नाम के किसी दूसरे व्यक्ति को एक ख़ास रकम का भुगतान करने का आदेश देता है। इसे भी एक प्रकार का मुद्रा कहा जाता है।

बैंक अर्थव्यवस्था को चलाने में एक अहम् भूमिका निभाती है। बैंक जमरकताओं और कर्जदारों के बिच मध्यस्थता काम करते है। अर्थात जमाकर्ताओं से जमा लेके कर्जदारों को ऋण प्रदान करते है। बैंक जितना ब्याज जमाकर्ताओं को देता है उससे ज्यादा कर्जदारों से लेता है। यही बैंक के आय का मुख्य स्रोत होता है।

बैंक जमाकर्तों के जमा राशि के 15 प्रतिशत भाग नगद लेन देन के लिए रखता है, बाकि के राशि को ऋण लिए इस्तेमाल करता है।

ऋण एक सहमति होता है जहाँ साहूकार कर्जदारों को धन, वस्तुएँ या सेवाएँ मुहैया करता है और बदले में भविष्य में कर्जदार से भुगतान करने के वादा लेता है।

Mudra Aur Sakh: मुद्रा एवं साख महत्वपूर्ण प्रश्न-उत्तर।

प्रश्न: मुद्रा क्या है?
उतर: मुद्रा वह है जो मुद्रा का कार्य करें। मुद्रा कोई भी वास्तु हो सकती है बस वह सरकार के द्वारा प्राधिकृत होनी चाहिए और विनिमय का माध्यम के रूप में स्वीकृत हो। आधुनिक समय में मुद्रा के कई प्रकार है जिसमें डिजिटल मुद्राएं भी शामिल है।

प्रश्न: मुद्रा विनिमय प्रणाली क्या है?
उतर: जब वस्तुओं और सेवाओं के लेन देन में मुद्रा का प्रयोग होता है तो इसे मुद्रा विनिमय प्रणिली कहा जाता है।

प्रश्न: वस्तु विनिमय प्रणाली क्या है?
उतर: जब वस्तुओं और सेवाओं के लेन देन में मुद्रा के रूप में वस्तुओं का प्रयोग हो तो उसे वस्तु विनिमय प्रणाली कहा जाता है।

प्रश्न: ऋण क्या है?
उतर: ऋण का अर्थ उधार होता है। एक साहूकार या बैंक इस सहमति पर ऋण देता है की भविष्य में एक निश्चित रकम के साथ उसे वापस करेगा। ऋण के लिए ऋणदाता किस ऋणाधार का मांग कर सकता है।
यदि कर्जदार निश्चित समय में ऋण का भुक्तान नहीं कर पता है तो ऋणदाता ऋणदार को बेच कर अपनी ऋण के रकम का वसूली करता है।

प्रश्न: आवश्यकतों का दोहरा संयोग से आप क्या समझते है? 
उतर: विनिमय की क्रिया में जब दोनों तरफ की आवश्यकतों को पूरा करने में दोनों ही पक्ष सक्षम होते है तो इसे आवश्यकतों का दोहरा संयोग कहा जाता है। यह समस्या वस्तु विनमय प्रणाली में उत्पन्न होती है।

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प्रश्न: मुद्रा के प्रयोग से वस्तुओं के विनिमय में सहूलियत कैसे आती है?
उतर: मुद्रा का प्रयोग आवश्यकतों के दोहरा संयोग की समस्या को समाप्त करता है। एक व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति से मुद्रा के प्रयोग से वस्तु खरीदता है फिर दूसरा व्यक्ति उसी मुद्रा का प्रयोग कर के अपने आवस्यकता के वस्तुओं को कहीं और से खरीद

सकता है। इस प्रकार मुद्रा विनिमय को सरल बनता है। दूसरी बात मुद्रा का मूल्य स्थिर रहता है और इसका संचयन भी आसानी से किया जा सकता है।

प्रश्न: कर्ज-जाल क्या होता है? या, ऋण-जाल क्या है? 
उतर: यह वह स्थिति है जिसमें ऋण कर्जदार को ऐसी परिस्थिति में धकेल देता है, जहाँ से बहार निकलना काफी कष्दायक हो जाता है। यह ऋण की नकारातमक पहलु है। 

प्रश्न: उधारदाता उधार देते समय समर्थक ऋणाधार की माँग क्यों करता है?
उतर: उधारदाता दिए गए धन राशि को वापस लेने के लिए इसे बंधक के रूप में प्रयोग करता है। भविष्य में यदि कर्जदार ऋण चुकाने में असमर्थ होता है तो ऋणदाता इसे बेच कर अपनी रकम की वसूली कर सकता है।

प्रश्न: ग्रामीण क्षेत्र में ऋण के प्रमुख स्त्रोत कौन-कौन से है?
उतर: ग्रामीण क्षेत्र में ऋण के प्रमुख स्रोत साहूकार, बैंक और कुछ निजी संस्थाएं होती है जो ऋण प्रदान करती है। लेकिन साहूकार ग्रामीण क्षेत्र में सबसे बड़ा ऋण का स्रोत है।

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