Bhartiya Arthvyavastha Ke Kshetrak: भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक कक्षा 10 NCERT पुस्तक से ली गयी है। इस पाठ में बोर्ड परीक्षा उपयोगी सभी प्रश्नों का हल दिया गया है। प्रश्नो को झारखण्ड अधिविद्ध परिषद् रांची द्वारा निर्धारित पाठ्यक्रम के अनुसार तैयार किया गया है। इसके अलावा NCERT पुस्तक के आधार पर संचालित सभी परिक्षों के लिए मान्य है।
Bhartiya Arthvyavastha Ke Kshetrak: इस पाठ से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य।
आर्थिक गतिविधि: ऐसी क्रिया जिसे करे आवश्कतों के पूर्ति के लिए आय की प्राप्ति की जाये आर्थिक गतिविधि कहलाती है।
प्राथमिक क्षेत्र: यह उत्पादन की वह क्षेत्र है जिसमें प्राकृतिक संसाधनों का प्रयोग करके वस्तुओं का उत्पादन किया जाता है। इसे कृषि या सहायक क्षेत्र भी कहा जाता है।
द्वितीयक क्षेत्र: यह वह क्षेत्र है जिसमें एक उद्यम प्राकृतिक क्षेत्र से प्राप्त कर प्रतीक वस्तुओं को मशीनों और मानवीय ज्ञान का उपयोग कर के द्वितीय या अंतिम वस्तुओं में प्रवर्तित किया जाता है। इसे औद्योगिक क्षेत्र भी कहा जाता है।
तृतीयक क्षेत्र: इसे सेवा का क्षेत्र भी कहते है। यह प्राथमिक और द्वितीयक क्षेत्र में उत्पादन क्रियाओं में सहायता देता हे। इसलिए इसे सेवा का क्षेत्र कहते है। सेवा क्षेत्र में उत्पादन सहायक गतिविधियों के अतिरिक्त अन्य क्रियाएं भी हो सकती है। जैसे- डॉक्टर, वकील, कॉल सेंटर, सॉफ्टवेयर विक्सित करना आदि। भारत में पिछले 40 वर्षों में सबसे अधिक वृद्धि तृतीयक क्षेत्र में हुयी है।
सार्वजनिक क्षेत्र: वैसी क्षेत्र जिसमें अधिंकाश संपत्तियों पर सरकार का स्वामित्व पाया जाता है और सरकार को ही इन सेवाओं को उपलब्ध करने का अधिकार रखती है।
निजी क्षेत्र: वह क्षेत्र जिसमें परिसम्पतियों का स्वामित्व और सेवाओं का वितरण एक व्यक्ति या कंपनी की हाथों में होती है।
कृषि क्षेत्र में अल्प बेरोजगारी की समस्या अधिक है अर्थात हम कुछ लोगो को कृषि क्षेत्र से हटा दे तो उत्पादन में कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ेगा। इसे छुपी बेरोजगारी या प्रच्छन बेरोजगारी की स्थिति कहते है। कृषि कार्य में लोग बेरोजगार तो होते है पर प्रतीत नहीं होते है।
भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक कक्षा 10 महत्वपूर्ण तथ्य
वह व्यक्ति जो किसी कार्य को करने के लिए उचित प्रशिक्षण प्राप्त किया हो उसे कुशल श्रमिक कहते है इसके विपरीत जिन्होंने कोई प्रशिक्षण नहीं प्राप्त किया हो उसे अकुशल श्रमिक कहते है।
संगठित क्षेत्र: इस क्षेत्र में वे उद्द्यम या कार्य आते है, जहाँ रोजगार की अविधि सुनिश्चित होती है। ये सर्कार द्वारा पंजीकृत होते है और निर्धारित नियमों और विनियमों का अनुपालन करते है।
असंगठित क्षेत्र: छोटी- छोटी और बिखरी हुयी इकाईयाँ, जो अधिकांशतः सरकारी नियंत्रण से बहार रहती है, से निर्मित होती है। यहाँ प्रायः सरकारी नियमों का पालन नहीं किया जाता है।
ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005– केंद्रीय सरकार ने भारत के 200 जिलों में काम का अधिकार लागु करने का एक कानून बनाया है। इसके अंतर्गत सक्षम और जरूरतमंद बेरोजबार ग्रामीण लोगों को प्रत्येक वर्ष 100 दिनों की रोजगार की गारंटी सरकार के द्वारा दी जाती है। सरकार असफल रहने पर बेरोजगार भत्ता देती है।
महत्वपूर्ण परीक्षा उपयोगी प्रश्न उत्तर।
प्रश्न: सार्वजनिक और निजी क्षेत्र में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर: सार्वजनिक क्षेत्र एक संगठित क्षेत्र होता होता है जहाँ पर रोजगार की एक निश्चित अविधि होती है। इस क्षेत्र की परिसम्पतियों पर सरकार का अधिकार होता होता। सरकार अपने इच्छा अनुसार उत्पादन और वितरण करती है। जबकि निजी क्षेत्र में संगठित और असंगठित दोनों प्रकार के क्षेत्र आते है। इस क्षेत्र के परिसम्पतियों पर किसी निजी व्यक्ति क्या संस्था का स्वामित्व पाया जाता है। इसके उत्पादन और वितरण में सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं होता है।
प्रश्न: असंगठित क्षेत्र में मजदूरों के सामने आने वाली कठिनाईयों का वर्णन करें।
उत्तर: असंगठिक क्षेत्र में मजदूरों की रोजगार की कोई निश्चित अविधि नहीं होती है। काम की तुलना में उन्हें काम मजदूरी मिलता है। उसे काम से किसी भी वक्त मालिक निकल सकता है। इसमें श्रमिकों को काम छुट्टी मिलती है और अनुपस्थिति के लिए बेतन में कटौती भी की जाती है। इसमें सेवानिवृति के समय कोई भी धन नहीं मिलता है और न ही कोई पेंसन मिलती है। इन सब के अलावा इसमें काम करने तक के ही पैसे मिलते है अर्थात कोई भी अतरिक कमाई नहीं होती है।
प्रश्न: ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005 के तीन प्रावधान बताईयें।
उत्तर: इस अधिनियम के अनुसार ग्रामीण बेरोजगारों के लिए रोजगार की उचित प्रबंध की गयी थी। (1) सरकार ग्रामीण बेरोजगारों को वर्ष में काम से काम 100 दिनों का रोजगार देने का गारंटी देता है। (2) यदि सरकार ऐसा करने में सक्षम नहीं होती है तो बेरोजगारों को रोजगार भत्ता देती है। (3) इस योजनों की शुरुआत केंद्र सरकार ने 200 जिलों से की थी।
प्रश्न: तेजी से बढ़ती जनसख्या किस प्रकार बेरोजगारी को प्रभावित करती है।
उत्तर: बेरोजगारी का एक प्रमुख कारन बढ़ती जनसँख्या है। किसी देश की जनसँख्या का बढ़ने का अर्थ यह है की उसके लिए साधन उपलब्ध करना। जैसे जैसे जनसँख्या बढ़ती है साधनों की उपबाधता कम होती जाती है और रोजगार भी काम उपलब्ध हो पाते है। इस तरह से जनसख्या बढ़ाने पर बेरोजगारी की समस्या और अधिक हो जाती है।
Bhartiya Arthvyavastha Ke Kshetrak: इस नोट्स को JAC Board Ranchi के द्वारा जारी नवीनतम पाठ्यक्रम के अनुसार तैयार किया गया है। सभी जानकारी आपके वार्षिक परीक्षा के लिए अति उपयोगी है। कोई राय या जानकारी साझा करना चाहते है तो कमेंट बॉक्स में हमें जरूर लिखें। इससे संबंधित अन्य पाठ को भी देखें।
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