संसाधन और विकास: इस पाठ में हम संसाधन तथा उसके विकास के बारे में पड़ेंगे। हम जानेंगे कि संसाधन क्या होता है? उसका विकास कैसे करते हैं? तथा इसका विकास क्यों जरूरी है? इन प्रश्नों पर विस्तार से चर्चा करेंगे पर साथी इन से बनने वाले प्रश्नों को हल करें। यह सभी प्रश्न वार्षिक परीक्षा के लिए अति महत्वपूर्ण है। अतः परीक्षा में शामिल होने से पहले इन सभी प्रश्नों को स्मरण कर ले।
संसाधन और विकास से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्नौत्तर:
प्रश्न: संसाधन क्या है?
उत्तर: हमारे आसपास मौजूद वे सभी वस्तुएं जिसका हम लोग अपने आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए प्रयोग करते हैं वे सभी संसाधन कहलाते हैं।जैसे मिट्टी, वन, जल और कल-कारखाने आदि।
प्रश्न: प्राकृतिक संसाधन किसे कहते हैं?
उत्तर: प्रकृति द्वारा उपलब्ध वे सभी संसाधन जिसका प्रयोग मानव करता है, प्राकृतिक संसाधन कहलाता है। जैसे वन, भूमि, और पर्वत पठार आदि।
प्रश्न: प्राकृतिक संसाधन के कितने प्रकार होते हैं?
उत्तर: प्राकृतिक संसाधन के मुख्यतः दो प्रकार होते हैं जैविक और अजैविक संसाधन। जैविक संसाधन के अंतर्गत वन और जीव जंतु आदि को रखा जाता है। अजैविक संसाधन के अंतर्गत भूमि, जल और मृदा आदि को रखा जाता है।
प्रश्न: मानव निर्मित संसाधन क्या है? उनके कोई चार प्रकार बताएं।
उत्तर: वैसे संसाधन जिनका निर्माण मानवो के द्वारा किया गया हो वे मानव निर्मित संसाधन कहलाते हैं। मानव निर्मित संसाधन के उदाहरण है बांध कारखाने भवन यातायात साधन आदि।
प्रश्न: नवीकरणीय संसाधन क्या है? उदाहरण सहित समझाएं।
उत्तर: वैसे संसाधन जो समाप्त नहीं होते हैं नवीकरणीय संसाधन कहलाते हैं। इन संसाधनों का पुनर्चक्रण किया जा सकता है अर्थात एक बार समाप्त होने के बाद उन्हें एक निश्चित समय में दोबारा प्राप्त किया जा सकता है। इसके प्रमुख उदाहरण है जाल, वन और जीव-जंतु आदि।
प्रश्न: अनवीकरणीय संसाधन किसे कहते हैं? उदाहरण सहित समझाएं।
उत्तर: वैसे संसाधन जिनका पुनर्चक्रण संभव नहीं है अर्थात एक बार समाप्त हो जाने पर दोबारा प्राप्त नहीं किया जा सकता है, वैसे संसाधन को अनवीकरणीय संसाधन कहा जाता है। इसके प्रमुख उदाहरण है खनिज, गैस और कोयला आदि। यदि यह संसाधन समाप्त हो जाए तो इन्हें पुनः प्राप्त नहीं किया जा सकता। अतः इस तरह के संसाधनों का हमें योजना के तहत प्रयोग करना चाहिए ताकि इनका संरक्षण हो सके और भविष्य में आने वाले पीढ़ियों को भी प्राप्त हो सके।
प्रश्न: संसाधनों का संरक्षण क्यों आवश्यक है? वर्णन करें।
उत्तर: जीवन को सरल बनाने के लिए हमारे लिए संसाधन बहुत ही अनिवार्य है। यह संसाधन या तो प्राकृतिक के द्वारा हमें उपहार के रूप में मिले हैं या फिर मानव ने इसका निर्माण किया है। हमारे आसपास कुछ संसाधन ऐसे उपलब्ध है जो कभी न खत्म होने वाली है। इसके अलावा कुछ संसाधन ऐसे भी हैं जिन की मात्रा पृथ्वी पर सीमित है। चाहे वह जिस भी प्रकार का संसाधन हो हमारे गलत प्रयोग के कारण उनकी उपलब्धता में कमी आती जा रही है। इसलिए हमें संसाधनों को सावधानी पूर्वक तथा योजना बंद तरीकों के साथ प्रयोग करना चाहिए। हमें संसाधनों का संरक्षण करना चाहिए ताकि हम इन संसाधनों को भविष्य में प्रयोग कर सकें और हमारे आने वाले भावी पीढ़ियों को भी उपलब्ध हो सके।
संसाधन और विकास से संबंधित दीर्घ प्रश्नौत्तर:
प्रश्न: प्रौद्योगिक और आर्थिक विकास के कारण संसाधनों का अधिक उपयोग कैसे हुआ?
उत्तर: प्रौद्योगिकी और आर्थिक विकास से हमलोग संसाधनों का और अधिक प्रयोग कर सकते हैं जिसके लिए निम्न कारक उत्तरदाई है:
(क) संसाधनों का अधिक उपयोग प्रौद्योगिक और आर्थिक विकास से संबंधित है। प्रौद्योगिकी के विकास के कारण संसाधनों का दोहन भारी पैमाने पर संभव हुआ तथा आर्थिक विकास के लिए अधिक से अधिक संसाधनों की आवश्यकता पड़ी (ख) संसाधनों की उपलब्धता अपने आप में विकास का कारण नहीं बन सकती, जब तक कि उसे उपयोग में लाने लायक प्रौद्योगिकी अथवा कौशल का विकास नहीं किया जाय। जैसे-जैसे प्रौद्योगिकी का विकास होता गया संसाधनों का दोहन भारी पैमाने पर किया जाने लगा।
(ग) जितना अधिक संसाधनों का दोहन हुआ आर्थिक विकास भी उतना आगे बढ़ा।
(घ) औपनिवेशिक काल में संसाधनों का दोहन बड़े पैमाने पर हुआ क्योंकि साम्राज्यवादी देशों ने अपने उच्च प्रौद्योगिकी के माध्यम से संसाधनों का दोहन किया। इससे साम्राज्यवादी देशों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हुई। भले ही इसका लाभ उपनिवेशों को प्राप्त नहीं हुआ।
प्रश्न: मृदा अपरदन को रोकने के प्रमुख उपायों का वर्णन करें। या भू-क्षरण को रोकने के उपाय बताएं।
उत्तर: मृदा अपरदन को रोकने के प्रमुख उपाय निम्नलिखित:
- पहाड़ी इलाकों में सीडी नुमा खेती करने से मृदा अपरदन को कम किया जा सकता है।
- मरुस्थलीय क्षेत्र में अधिक से अधिक पेड़ पौधे लगाकर अपरदन को रोका जा सकता है।
- अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में हमें ज्यादा से ज्यादा पेड़ पौधे लगाना चाहिए तथा घासों को संरक्षित रखना चाहिए। इससे मृदा अपरदन को नियंत्रित किया जा सकता है।
- एक ही भूमि में बदल बदल कर विभिन्न फसलों की खेती करनी चाहिए इससे भूमि क्षरण पर नियंत्रण पाया जा सकता है।
- उद्योगों से निकलने वाले प्रदूषित जल को बाहर निकालने के लिए पृथककरी छन्ना का प्रयोग कर भू-क्षरण को नियंत्रित किया जा सकता है।
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