खनिज तथा उर्जा संसाधन: नवीनतम पाठ्यक्रम पर आधारित प्रश्न उत्तर सभी NCERT पुस्तक पाठकों के लिए उपयोगी है। इसमें बहुवैकल्पिक, लघु और दीर्घ उत्तरीय प्रश्न भी दिए गए है। कुछ सुझाव के लिए कमेंट जरूर करें।
खनिज तथा उर्जा संसाधन बहुवैल्पिक प्रश्न।
1. कोडरमा निम्नलिखित में से किस खनिज का अग्रणी उत्पादक है?
a. बॉक्साइट
b. अभ्रक ✔
c. लौह अयस्क
d. तांबा
2. किस प्रकार के चट्टानों के स्तरों में खनिजों और निक्षेपण और संचयन होता है?
a. तलछटी चट्टानें ✔
b. आग्नेय चट्टानें
c. कायांतरित चट्टानें
d. इनमें से कोई नहीं
3. मोनाजाइट रेत में कौन-सा खनिज पाया जाता है?
a. खनिज तेल
b. यूरेनियम
c. थोरियम ✔
d. कोयला
4. सबसे ज्यादा कठोर खनिज होता है?
a. बाक्साइट
b. हिरा ✔
c. लोहा
d. सेलखाड़ी
5. सबसे उत्तम लौह अयस्क का प्रकार है:
a. मेग्नेटाईट ✔
b. हेमेटाइट
c. एन्थरासाईट
d. ब्रोमाईट
6. भारत विश्व का सबसे बड़ा खनिज उत्पादक देश है:
a. कोयला
b. एल्मुनियम
c. लोहा
d. अभ्रक ✔
7. कौन-सी खनिज ‘काला सोना’ के नाम से भी जाना जाता है?
a. लोहा
b. एल्मुनियम
c. कोयला ✔
d. लेड
8. निम्न में से कौन- सा एक धात्विक खनिज का उदाहरण नहीं है?
a. अभ्रक
b. सल्फर
c. चुना पत्थर ✔
d. बॉक्साइट
9. सर्वोत्तम गुण वाला कोयला है:
a. लिग्नाईट
b. बिटुमिनस
c. एन्थ्रेसाइट ✔
d. बॉक्साइट
10. रावतभाटा परमाणु ऊर्जा संयंत्र किस राज्य में स्थित है?
a. गुजरात
b. कर्नाटक
c. पंजाब
d. राजस्थान ✔
खनिज तथा उर्जा संसाधन दीर्घ उत्तरीय प्रश्न।
प्रश्न: आग्नेय तथा कायांतरित चट्टानों में खनिजों का निर्माण कैसे होता है ?
उत्तर: जिन चट्टानों का धरती पर सबसे पहले निर्माण हुआ उन्हें आग्नेय चट्टानें कहते हैं। जबकि इन चट्टानों का जब किसी दबाव या गर्मी के कारण रूप बदल जाता है (जैसे- चूने के पत्थर का संगमरमर में), तो उन चट्टानों को कायांतरित चट्टानें कहते हैं। आग्नेय और कायांतरित चट्टानों की दरारों, जोड़ों, छिद्रों आदि में खनिज मिलते हैं। छोटे जमाव को शिराएँ कहा जाता है जबकि बड़े जमाव परतों के रूप में पाए जाते हैं। इनका निर्माण भी प्रायः उस समय होता है जब वे तरल या गैसीय अवस्था में दरारों के सहारे भू-पृष्ठ की ओर धकेले जाते हैं। ऊपर पहुँचकर वे धरती की सतह पर ठण्डे होकर जम जाते हैं। जस्ता, तांबा, जिंक और सीसा मुख्य धात्विक खनिज इस प्रकार छोटे या बड़े जमाओं एवं परतों में पाए जाते हैं।
प्रश्न: भारत में कोयले के वितरण पर प्रकाश डालें।
उत्तर: उत्तर भारत में कोयले का लगभग 21400 करोड़ टन भंडार है। आजकल भारत में प्रतिवर्ष 33 करोड़ टन कोयला निकाला जाता है। कोयले के अधिकांश क्षेत्र प्रायद्वीपीय पठार के उत्तर पूर्वी भाग में पाये जाते हैं। कुल उत्पादन का दो तिहाई कोयला झारखंड, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और उड़ीसा में निकाला जाता है। शेष एक-तिहाई कोयला आंध्रप्रदेश, पश्चिमी बंगाल, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश से प्राप्त होता है। देश में प्रमुख कोयला उत्पादक क्षेत्र इस प्रकार हैं-
(क) झारखंड- प्रमुख खनन क्षेत्र बोकारो, झरिया, गिरिडीह, रामगढ़ हैं।
(ख) मध्यप्रदेश- प्रमुख क्षेत्र उमरिया, सोहागपुर हैं।
(ग) छत्तीसगढ़- प्रमुख कोयला क्षेत्र कोरबा और अम्बिकापुर हैं।
(घ) उड़ीसा- प्रमुख कोयला क्षेत्र सम्भलपुर और सुंदरगढ़ जिलों में हैं।
भारत में लौह अयस्क के वितरण का वर्णन करें। उत्तर भारत में संसार का लगभग 20 प्रतिशत लौह अयस्क भंडार हैं। भारत में लौह अयस्क का खनन मुख्यतः छत्तीसगढ़, झारखंड, उड़ीसा, गोवा और कर्नाटक राज्यों में होता है। इन राज्यों में कुल उत्पादन का 95% से भी अधिक भाग प्राप्त किया जाता है। इनके अतिरिक्त और भी कई राज्यों में लोहा पाया जाता है। देश के प्रमुख लोहा उत्पादक क्षेत्र इस प्रकार हैं-
(क) छत्तीसगढ़- इस राज्य में अधिकांश लोहा हेमेटाइट किस्म का है। यहाँ के दुर्ग, बस्तर और दांतेवाड़ा जिलों में लोहा उत्पादन किया जाता हैं। बस्तर जिले में बैलाडिला, रावघाट प्रमुख लोहा क्षेत्र हैं।
(ख) झारखंड- यहाँ के पश्चिमी और पूर्वी सिंहभूम जिले में लौह अयस्क का भंडार हैं। यहाँ के प्रमुख क्षेत्र गुआ और नोआमुण्डी हैं।
(ग) उडीसा- यहाँ के सुंदरगढ़, क्योंझर और मयूरभंज जिले में लोहा उत्पादन किया जाता है।
(घ) कर्नाटक- इस राज्य के चिकमंगलूर जिले के बाबाबूदन पहाड़ी, कुद्रमुख और कालाहांडी क्षेत्र प्रमुख हैं। बेल्लारी, चित्रदुर्ग, शिमोगा और टुमकुर जिलों से भी लोहा प्राप्त किया जाता है।
(ङ) गोवा- गोवा के उत्तरी भाग में लोहा मिलता है।
प्रश्न: भारत के किन्हीं चार लौह अयस्क पेटियों की व्याख्या करें।
उत्तर: उत्तर-भारत के चार प्रमुख लौह अयस्क पेटियाँ-
(क) उड़ीसा झारखण्ड पेटी- उड़ीसा में उच्च कोटि का हेमेटाइट किस्म का लौह अयस्क मयूरभंज व केंदूझर जिलों में बादाम पहाड़ खादानों से निकाला जाता है। इसी से सन्निद्ध झारखण्ड के सिंहभूम जिले में गुआ तथा नोआमुंडी से हेमेटाइट अयस्क का खनन किया जाता है।
(ख) दुर्ग-बस्तर- चन्द्रपुर पेटी- यह पेटी महाराष्ट्र व छत्तीसगढ़ राज्यों के अंतर्गत पाई जाती है। छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में बैलाडिला पहाड़ी श्रृंखलाओं में अति उत्तम कोटि का हेमेटाइट पाया जाता है जिसमें इस गुणवत्ता के लौह के 14 जमाव मिलते हैं। इसमें इस्पात बनाने में आवश्यक सर्वश्रेष्ठ भौतिक गुण विद्यमान हैं। इन खदानों का लौह अयस्क विशाखापत्तनम् पत्तन से जापान तथा दक्षिण कोरिया को निर्यात किया जाता है।
(ग) बेलारी-चित्रदुर्ग, चिकमंगलूर- तुमकुर पेटी- कर्नाटक की इस पेटी में लौह अयस्क की बृहत् राशि संचित है। कर्नाटक में पश्चिमी घाट में अवस्थित कुद्रेमुख की खानें शत् प्रतिशत निर्यात इकाई हैं। कुद्रेमुख निक्षेप संसार के सबसे बड़े निक्षेपों में से एक माने जाते हैं। लौह अयस्क कर्दम (slurry) रूप से पाइपलाइन द्वारा मैंगलोर के निकट एक पत्तन पर भेजा जाता है।
(घ) महाराष्ट्र-गोआ पेटी- यह पेटी गोआ तथा महाराष्ट्र राज्य के रत्नागिरि जिले में स्थित है। यद्यपि यहाँ का लोहा उत्तम प्रकार का नहीं है तथापि इसका दक्षता से दोहन किया जाता है। मरमागाओ पत्तन से इसका निर्यात
किया जाता है।
प्रश्न: अवसादी शैल या चट्टानें किन्हें कहते हैं और इनकी क्या विशेषताएँ होती है ?
उत्तर- इन शैलों का निर्माण नदियों द्वारा हजारों वर्षों से लाए गए मिट्टी, पत्थर के कणों के जमने से होता है। मिट्टी और पत्थर के कणों की एक तह के ऊपर दूसरी तह जमती जाती है और इस प्रकार अवसादी शैलों का निर्माण होता रहता है।
इन चट्टानों की एक बड़ी विशेषता यह होती है कि इनमें वृक्षों एवं पशुओं के अवशेष भी दबे रहते हैं। इन अवशेषों की सहायता से वैज्ञानिकों ने इन चट्टानों के निर्माण काल का भी ज्ञान प्राप्त कर लिया है। कोयला और चूना इन शैलों
के कुछ मुख्य उदाहरण हैं।
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